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सूचना का अधिकार-2005 (RTI-2005 ) का प्रयोग
अमूमन सरकारी दफ्तर/संस्था/विभाग से कोई साधारण सा काम करवा पाना, कोई सूचना प्राप्त कर पाना दुष्कर कार्य होता है। सकारात्मक शब्दों में कहे तो यह "मील का पत्थर" लगाने से कम नहीं। इन कार्यों में मूलभूत सुविधायों से जुड़े, सरकारी दफ्तरों में पारदर्शिता से जुड़े, या संविधान के द्वारा प्रदत्त कई और अधिकारों से जुड़े कार्य प्रमुख रूप से आते है। कुछ कार्य निम्नलिखित है।
१. राशन कार्ड प्राप्त करना
२. गैस कनेक्शन प्राप्त करना
३. ड्राइविंग लाइसेंस पाना
४. अपने भविष्य निधि(PF)/पेंशन का पैसा ट्रान्सफर करवाना/निकलवाना
५. सरकारी बीमा संस्थायों, LIC , United India Insurance, NIC से क्लेम सेटल करवाना
६. बैंक से कर्ज प्राप्त करना, या पाने आवेदन पत्र से जुडी जानकारियां प्राप्त करना
७. विश्वविधालय, सरकारी प्रतियोगी परीक्षायों की परिणाम जाना, उत्तर पुस्तिका निकलवा लेना।
८. सरकार द्वारा प्रायोजित किसी कार्य में इस्तेमाल हो रही सामग्री का नमूना प्राप्त करना
९. सरकारी दस्तावेजों कि की प्रतिलिपियाँ प्राप्त करना।
१०. सरकारी दस्तावेजों का निरीक्षण
११. सरकार के निर्माण का निरीक्षण
ऐसे ही कई रोजमर्रा/मूलभूत अधिकारों से जुड़े कार्यों के लिए सरकारी दफ्तर में बहुत कठिनाईयाँ दरपेश आती है। समयबद्ध और बगैर रिश्वत के काम हो पाना असंभव सा होता है। अधिकारों बात का जिक्र करना भी कई बार सरकारी बाबू कि नाराजगी मोल लेने के बराबर होता है। यहाँ जिक्र लाजिमी है की महाराष्ट्र सरकार ने "अन्ना हजारे जी" के अथक प्रयासों के बाद सन 2000 में "सूचना अधिकार" को जनता का कानूनी हक़ बनाया , जो बाद में 2005 संपूर्ण भारत में लागू हुआ। इस अधिकार ने सरकारी संस्थायों की कार्य शैली को पारदर्शी बनाने में और संपूर्ण तन्त्र को प्रत्तक्ष/अप्रत्तक्ष रूप से जिम्मेदार होने में अहम् भूमिका निभाई है। यह अधिकार ना केवल सूचना प्राप्त करने में सहायक है। किन्तु प्राप्त सूचना से आगे की अधिकारों की लड़ाई में सरकारी दस्तावेज का कार्य करती है।ऊपर लिखे इस्तेमाल के अलावा लगभग सभी सरकारी संस्थायों के साथ इस अधिकार का इस्तेमाल किया जा सकता है।
सूचना के अधिकार की सीमायें:
सूचना का अधिकार अधिनियम -2005 भारत के किसी भी नागरिक को सरकारी संस्था/दफ्तर/नियामक संस्था (रेगुलेटरी बॉडी ex - TRAI, SEBI, IRDA) से सूचना प्राप्त करने को कानूनी दर्जा देता है अधिकार बनाता है।कोई भी सूचना प्राप्त करने के लिए कोई कारण होना या बताना अनिवार्य नहीं है।
ये सूचना महज १० रुपये के खर्चे पर प्राप्त की जा सकती है। और उलिखित संस्था आवेदन करता को सूचना ३0 से 35 दिन के भीतर देने को वाध्य है। कई बार जब सूचना देश की सुरक्षा से जुडी हो या किसी व्यक्ति विशेस की अत्यंत व्यक्तिगत सूचना हो दो सूचना देने से इनकार भी किया जा सकता है।
सूचना के अधिकार के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया :
१-जिस संस्था से सूचना प्राप्त करनी है उसके जन सूचना अधिकारी कर पता प्राप्त करे। ये जानकारी संस्था की वेबसाइट पर उपलब्ध रहती है। अगर किसी कारणवस वेबसाइट नहीं है तो दफ्तर जाकर ये जानकारी ली जा सकती है। आवेदन पत्र APIO, PIO, CPIO किसी के भी नाम लिखा जा सकता है।
२. क ) सादे पेज पर सबसे ऊपर लिखे की आप " सूचना अधिकार अधिनियम -2005" के तहत जानकारी मांग रहे है।
ख) आवेदन पत्र में ऊपर दिनाँक जरूर डालें।
ग) तत्पश्चात विषय का उल्लेख करें ,जिस पर आपको जानकारी चाहिए।
घ ) APIO, PIO, CPIO में से किसी एक को संबोधित करते हुए अपने प्रश्न एक -एक करने लिखे।
सूचना प्राप्तकर्ता / आवेदनकर्ता का पता - पत्र व्यवहार का पता( जिस पते पर आपको सूचना चाहिए) लिखे।
उदहारण के तौर पर एक RTI आवेदन प्रत्र नीचे दिया गया है।

३. अगर व्यक्तिगत तौर पर आवेदन जमा कर रहे है तो १0 रूपये की फीस नकद जमा की जा सकती है। अन्यथा १0 रूपये का "पोस्टल आर्डर" संलग्न किया जा सकता है।
४ . संख्या १. में प्राप्त पते पर "स्पीड पोस्ट" करे ( ध्यान रहे courier इत्यादि ना करे), आवेदन पत्र व्यक्तिगत तौर पर भी जमा किये जा सकते है
५. APIO को भेजे गए आवेदन में ३0 दिन के अन्दर और CPIO /PIO को भेजे गए आवेदन पर ३5 दिन के अन्दर सूचना की उम्मीद की जा सकती है। हालाँकि कई बार ४-5 दिन की देरी डाक के कारण हो सकती है।
6. स्पीड पोस्ट को इन्टरनेट - http://www.indiapost.gov.in/tracking.aspx पर ट्रैक करे और पहुचने का स्टेटस को screen shot लेकर भविष्य में प्रयोग में लिए रख ले।
७. और अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे - विषय "RTI -२005" लिखे।
सूचना का अधिकार-2005 (RTI-2005 ) का प्रयोग
अमूमन सरकारी दफ्तर/संस्था/विभाग से कोई साधारण सा काम करवा पाना, कोई सूचना प्राप्त कर पाना दुष्कर कार्य होता है। सकारात्मक शब्दों में कहे तो यह "मील का पत्थर" लगाने से कम नहीं। इन कार्यों में मूलभूत सुविधायों से जुड़े, सरकारी दफ्तरों में पारदर्शिता से जुड़े, या संविधान के द्वारा प्रदत्त कई और अधिकारों से जुड़े कार्य प्रमुख रूप से आते है। कुछ कार्य निम्नलिखित है।
१. राशन कार्ड प्राप्त करना
२. गैस कनेक्शन प्राप्त करना
३. ड्राइविंग लाइसेंस पाना
४. अपने भविष्य निधि(PF)/पेंशन का पैसा ट्रान्सफर करवाना/निकलवाना
५. सरकारी बीमा संस्थायों, LIC , United India Insurance, NIC से क्लेम सेटल करवाना
६. बैंक से कर्ज प्राप्त करना, या पाने आवेदन पत्र से जुडी जानकारियां प्राप्त करना
७. विश्वविधालय, सरकारी प्रतियोगी परीक्षायों की परिणाम जाना, उत्तर पुस्तिका निकलवा लेना।
८. सरकार द्वारा प्रायोजित किसी कार्य में इस्तेमाल हो रही सामग्री का नमूना प्राप्त करना
९. सरकारी दस्तावेजों कि की प्रतिलिपियाँ प्राप्त करना।
१०. सरकारी दस्तावेजों का निरीक्षण
११. सरकार के निर्माण का निरीक्षण
ऐसे ही कई रोजमर्रा/मूलभूत अधिकारों से जुड़े कार्यों के लिए सरकारी दफ्तर में बहुत कठिनाईयाँ दरपेश आती है। समयबद्ध और बगैर रिश्वत के काम हो पाना असंभव सा होता है। अधिकारों बात का जिक्र करना भी कई बार सरकारी बाबू कि नाराजगी मोल लेने के बराबर होता है। यहाँ जिक्र लाजिमी है की महाराष्ट्र सरकार ने "अन्ना हजारे जी" के अथक प्रयासों के बाद सन 2000 में "सूचना अधिकार" को जनता का कानूनी हक़ बनाया , जो बाद में 2005 संपूर्ण भारत में लागू हुआ। इस अधिकार ने सरकारी संस्थायों की कार्य शैली को पारदर्शी बनाने में और संपूर्ण तन्त्र को प्रत्तक्ष/अप्रत्तक्ष रूप से जिम्मेदार होने में अहम् भूमिका निभाई है। यह अधिकार ना केवल सूचना प्राप्त करने में सहायक है। किन्तु प्राप्त सूचना से आगे की अधिकारों की लड़ाई में सरकारी दस्तावेज का कार्य करती है।ऊपर लिखे इस्तेमाल के अलावा लगभग सभी सरकारी संस्थायों के साथ इस अधिकार का इस्तेमाल किया जा सकता है।
सूचना के अधिकार की सीमायें:
सूचना का अधिकार अधिनियम -2005 भारत के किसी भी नागरिक को सरकारी संस्था/दफ्तर/नियामक संस्था (रेगुलेटरी बॉडी ex - TRAI, SEBI, IRDA) से सूचना प्राप्त करने को कानूनी दर्जा देता है अधिकार बनाता है।कोई भी सूचना प्राप्त करने के लिए कोई कारण होना या बताना अनिवार्य नहीं है।
ये सूचना महज १० रुपये के खर्चे पर प्राप्त की जा सकती है। और उलिखित संस्था आवेदन करता को सूचना ३0 से 35 दिन के भीतर देने को वाध्य है। कई बार जब सूचना देश की सुरक्षा से जुडी हो या किसी व्यक्ति विशेस की अत्यंत व्यक्तिगत सूचना हो दो सूचना देने से इनकार भी किया जा सकता है।
सूचना के अधिकार के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया :
१-जिस संस्था से सूचना प्राप्त करनी है उसके जन सूचना अधिकारी कर पता प्राप्त करे। ये जानकारी संस्था की वेबसाइट पर उपलब्ध रहती है। अगर किसी कारणवस वेबसाइट नहीं है तो दफ्तर जाकर ये जानकारी ली जा सकती है। आवेदन पत्र APIO, PIO, CPIO किसी के भी नाम लिखा जा सकता है।
२. क ) सादे पेज पर सबसे ऊपर लिखे की आप " सूचना अधिकार अधिनियम -2005" के तहत जानकारी मांग रहे है।
ख) आवेदन पत्र में ऊपर दिनाँक जरूर डालें।
ग) तत्पश्चात विषय का उल्लेख करें ,जिस पर आपको जानकारी चाहिए।
घ ) APIO, PIO, CPIO में से किसी एक को संबोधित करते हुए अपने प्रश्न एक -एक करने लिखे।
सूचना प्राप्तकर्ता / आवेदनकर्ता का पता - पत्र व्यवहार का पता( जिस पते पर आपको सूचना चाहिए) लिखे।
उदहारण के तौर पर एक RTI आवेदन प्रत्र नीचे दिया गया है।
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३. अगर व्यक्तिगत तौर पर आवेदन जमा कर रहे है तो १0 रूपये की फीस नकद जमा की जा सकती है। अन्यथा १0 रूपये का "पोस्टल आर्डर" संलग्न किया जा सकता है।
४ . संख्या १. में प्राप्त पते पर "स्पीड पोस्ट" करे ( ध्यान रहे courier इत्यादि ना करे), आवेदन पत्र व्यक्तिगत तौर पर भी जमा किये जा सकते है

6. स्पीड पोस्ट को इन्टरनेट - http://www.indiapost.gov.in/tracking.aspx पर ट्रैक करे और पहुचने का स्टेटस को screen shot लेकर भविष्य में प्रयोग में लिए रख ले।
७. और अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे - विषय "RTI -२005" लिखे।